Menu
blogid : 23464 postid : 1133492

जातिवाद के खिलाफ आरक्षण

जिद्दी जीतू सोसल एक्टीविस्ट
जिद्दी जीतू सोसल एक्टीविस्ट
  • 10 Posts
  • 7 Comments

आज दिनांक 21 जनवरी के अंक में दैनिक भास्कर के सम्पादकीय पेज पर #चेतन भगत का रोहित वेमुला की दुर्घटना पर लेख पढ़ा, उसकी प्रतिक्रिया मे लिखने पर मजबूर हूँ क्योकि एक तरफ वह इस दुर्घटना पर राजनीति करने वालों को नसीहत दे रहे हैं, और खुद आरक्षण रूपी राजनीति कर रहे हैं, यह उन लोगों की संख्या में से हैं अच्छी तरह पता है कि आरक्षण क्यों दिया जाता है फिर भी कह रहे हैं कि अगर जातिगत आरक्षण खत्म कर दिया जाए तो इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है, महान लेखक जी, आप की ऐसी बातों से क्या उन्हें बल नहीं मिलेगा जो लोग आरक्षण लेने बालों के खिलाफ ऐसी अमानवीय सोच रखते हैं, क्या आप भी उन में शामिल तो नहीं?
एक तरफ आप लिखते हैं कि दलितों के साथ जातीय भेदभाव हो रहा है, तो आप को यह भी मालूम होगा कि सबसे ज्यादा भेदभाव उन दलित गरीबों के साथ हो रहा है इस लायक भी नहीं हैं कि अपने गाँव से निकल कर वहाँ तक पहुंच सकें आरक्षण दिया जाता है, उन मासूम गरीबों के साथ जातीय भेदभाव आप लोग आरक्षण की वजह से ही कर रहे होंगे न?
अच्छा अब ये बताएंगे कि यह लोग आरक्षण की वजह से जातिगत भेदभाव कब से कर रहे हैं? मैं बताता हूँ जब से संविधान बना तबसे ही आरक्षण मिला है न? पर शायद आप लोग छुपा रहे हैं कि यह जातिगत भेदभाव गीता भागवत, वेद पुराणों में हैं, चलो खत्म करते हैं जातिगत भेदभाव इन्हीं जगह से, तैयार हैं ना?

भेद भाव, जातीय लड़ाई,
जो मनुस्मृति कहलाते हैं।
लगा दो आग उन ग्रन्थों को,
जो ऊँच नीच फैलाते हैं।।

राजनीति के गद्दारों, यह सारा कुसूर तुम्हारा है,
रोहित वेमुला मरा नहीं, उसे जानबूझकर मारा है।

गलत कह रहे हैं सब रोहित ने आत्महत्या कर ली है,
जातिवाद के जल्लादों ने उसे फाँसी पर लटकाया है।
~~~~~~~~~इंकलाब जिंदाबाद ~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~जय भीम ~~~~~~~~~~~

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh