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कहाँ गए वो देशी कुत्ते जो, गौ हत्या पे थे चिंघाड़ रहे। वीरों की अमर चिताओं पे, वो गला क्यों नहीं फाड़ रहे।

जिद्दी जीतू सोसल एक्टीविस्ट
जिद्दी जीतू सोसल एक्टीविस्ट
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कहाँ गए वो देशी कुत्ते जो,
गौ हत्या पे थे चिंघाड़ रहे।
वीरों की अमर चिताओं पे,
वो गला क्यों नहीं फाड़ रहे।

मारी होतीं गर गायें सत्तरह,
तो सत्तर बेक़सूर मारते तुम।
भारत की रक्षा के मौक़े पर,
अब क्यों तुम पल्ला झाड़ रहे।

सरकारें चलतीं होंगी लेकिन,
जुमलों से देश नहीं चलता।
खाखी की हाफ़ पैंट भर से,
भक़्ती का भेष नहीं चलता।

भारत माँ के जैकारे भर से,
राष्ट्रवादी का दे प्रमाण रहे,
वीरों की अमर चिताओं पे,
वो गला क्यों नहीं फाड़ रहे।

जब सत्ता में नहीं थे मोदी,
तब लम्बी लम्बी थे हाँक रहे।
अब पूरे बहुमत से क़ाबिज़ हैं,
तब क्यों हैं बग़लें झाँक रहे।

ट्विटर पे टिटियाकर कौन सी,
डिजिटल नेतानगरी झाड़ रहे,
वीरों की अमर चिताओं पे,
वो गला क्यों नहीं फाड़ रहे।

जीयो आ गया अम्बानी का,
अब डेटा तोपों में भरा देना।
फ़ोर G की मिसाइल लेकर,
सब डिजिटल युद्ध करा देना।

बम बरसाने की बात चले तो,
ये पतंजलि छाप परमाणु रहे।
वीरों की अमर चिताओं पे,
वो गला क्यों नहीं फाड़ रहे।

कहाँ गए वो देशी कुत्ते जो,
गौ हत्या पे थे चिंघाड़ रहे।
वीरों की अमर चिताओं पे,
वो गला क्यों नहीं फाड़ रहे।
… ज़िद्दी जीतू

इंक़लाब ज़िंदाबाद

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